शाजापुर। जहन्नुम से मगफिरत की रात शबे बारात के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने पुरखों को याद कर अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी। शब-ए-बरात पर शुक्रवार की पूरी रात समाज के लोगों ने जगराता किया और अपने रब की बारगाह में तौबा कर बख्शिश की दुआएं की। वहीं फजर की नमाज के बाद शनिवार सुबह कब्रिस्तान जाकर लोगों ने अपने पुरखों की कब्रों पर अगरबत्ती लगाकर फूल चढ़ाए और दुरूद-फातेहा पढ़ी। उल्लेखनीय है कि इस्लामी मान्यता के अनुसार शबे बारात की रात पूरी कायनात की मखलूक की किस्मत लिखी जाती है। सालभर में किस के साथ क्या होगा और किस की मौत होगी? कहां बारिश होगी और कहां सूखा रहेगा? इसका लेखाजोखा भी शबे बारात की रात में ही तैयार किया जाता है। मुस्लिम त्यौहार कमेटी के सज्जाद अहमद कुरैशी ने बताया कि इस्लामी मान्यताओं के चलते शबे बारात के दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर फातेहा पढक़र पुरखों की आत्मा की शांति के लिए दुआएं मांगी गईं। इसके बाद पूरी रात अल्लाह की इबादत कर गुनाहों की माफी तलब करते हुए मगफिरत की दुआ की गई। साथ ही फजर की नमाज के बाद शहर के कब्रिस्तानों में पहुंचकर बुजुर्गों की कब्रों पर फूल, अगरबत्ती चढ़ाकर फातेहा पढ़ी और ईसाल-ए-सवाब पेश किया गया।
