शाजापुर। कोरोना महामारी के बीच मानों जिला अस्पताल में इंसानियत भी दम तोड़ती नजर आ रही है, यही कारण है कि अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की सही से देखभाल करना तो दूर उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी ढंग से नही किया जा रहा है। अस्पताल के जिम्मेदारों की लापरवाही और मनमानी का अब एक ओर नया सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक जीवित महिला को डॉक्टरों ने अस्पताल के बाहर से ही मृत घोषित करते हुए घर लौटा दिया, जबकि घर पहुंचने पर महिला जीवित हो उठी। इस घटना के बाद परिजनों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
गौरतलब है कि कोरोनाकाल के दौरान शाजापुर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं निरंतर ध्वस्त होती जा रही हैं। वहीं व्यवस्था को दुरूस्त करने की बजाय जिम्मेदार और अधिक लापरवाह होते जा रहे हैं। सोमवार शाम को ग्राम गोलवा निवासी कांतिलाल की 35 वर्षीय पत्नी हेमलता को स्वास्थ्य खराब होने पर परिजन उपचार के लिए शाजापुर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन यहां मौजूद डॉक्टरों ने बिना देखे ही हेमलता को मृत घोषित करते हुए अस्पताल के बाहर से ही चलता कर दिया। हेमलता की मौत की खबर सुनकर विलाप करते हुए परिजन गांव पहुंचे और अंतिम संस्कार की तैयारियां करने लगे। इसी बीच हेमलता पानी पीने का कहते हुए उठ खड़ी हुई। हेमलता का स्वास्थ्य चूंकि खराब था, इसलिए परिजन उसे उपचार के लिए देवास ले जाने के लिए रवाना हो गए, परंतु रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि यदि शाजापुर अस्पताल में समय पर हेमलता को इलाज मिल जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी, किंतु जिम्मेदार लापरवाह बने रहे। परिजनों ने लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
चरमराती जा रही व्यवस्था
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था लगातार चरमराती जा रही हैं। यही वजह है कि अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था और जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते हर एक से दो दिनों में अस्पताल में हंगामा खड़ा हो रहा है। वहीं अब जिम्मेदारों ने लापरवाही की सारी सीमाएं लांघते हुए जीवित महिला को मृत घोषित करने का शर्मनाक कारनामा कर दिखाया है। हालांकि महिला की घर पहुंचने के कुछ समय बाद ही मौत हो गई। परिजनों ने मौत के पीछे जिला अस्पताल के डॉक्टरों को दोषी बताया है और कार्रवाई किए जाने की मांग की है। जबकि अस्पताल के जिम्मेदार इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नही हैं।
