शाजापुर। ग्रामीण अंचलों में आज भी जात-पात के नाम पर भेदभाव जारी है और यही कारण है कि दलित समाज के लोगों के घोड़े पर बैठने पर कुछ लोगों को आपत्ति रहती है। ऐसा ही एक मामला शाजापुर जिले के समीपस्थ ग्राम में सामने आया, जहां जातिगत भेदभाव के अंदेशे के चलते दलित समाज के दूल्हे की बारात पुलिस के साए में निकाली गई। दरअसल शाजापुर जिला मुख्यालय से करीब 3 किमी दूरी पर बसे ग्राम जाईहेड़ा में रहने वाले रतनलाल मकवाना के घर उनकी पुत्री की ग्राम बाजना के अर्जुन पिता सिद्दूलाल की बारात सोमवार को आनी थी, जिसके एक दिन पूर्व बलाई समाज के दूल्हे की बारात नही निकलने देने का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। आडियों में कहा जा रहा था कि हमारे घर के सामने से न तो दूल्हा घोड़ी पर बैठकर निकलेगा और नही गांव में कोई जुलूस निकालने दिया जाएगा। ऑडियो के वायरल होने पर सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों ने पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव से घटना और ऑडियो को लेकर विस्तृत चर्चा की। इसके बाद 13 दिसंबर को समाज के लोग जाईहेड़ा पहुंचे और यहां पुलिस की मौजूदगी में जुलूस निकालकर शादी का जश्न मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।
पुलिस ने संभाला मोर्चा
जाईहेड़ा गांव में दलित दूल्हे के घोड़ी पर बैठने की बात पर विवाद होने की संभावना को देखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। कोतवाली टीआई एके शेषा दलबल के साथ सुबह से गांव जा पहुंचे और बारात आने से लेकर दुल्हन के विदाई तक पुलिस गांव में मौजूद रही। इस दौरान किसी भी प्रकार का कोई विवाद सामने नही आया। टीआई शेषा ने बताया कि गांव में दलित परिवार के घर बारात गाजे-बाजे के साथ शांतिपूर्ण ढंग से पहुंची जिसका गांव के अन्य लोगों ने भी पुष्पमाला बरसाकर स्वागत-सत्कार किया। इस दौरान सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों ने दूल्हा-दुल्हन को अशीर्वाद दिया।
