श्री राजराजेश्वरी माता मंदिर
श्री अनन्तकोटि ब्रह्माण्ड नायिका
परा भट्टारिका भगवती ललिताम्बा महात्रिपुर सुंदरी
श्री राज राजेश्वरी माँ
दक्षप्रजापति के यज्ञ को विध्वंस करने के पश्चात जब भगवान शंकर सती माता के शव को लेकर निकले तब माता सती के जहा जहा अंग गिरे उस स्थान को शक्ति पीठ माना गया है |
यहाँ भी एक शक्ति पीठ स्थित है जिसे राज राजेश्वरी माता के नाम से जन जानते है | यहाँ माता का मंदिर बना हुआ है और यह बस स्टेंड के पास ही बना हुआ है | यहाँ यात्रियों के आराम हेतु सर्व सुविधा युक्त धर्मशाला भी बनी हुई है | जहा दूर से आये यात्री दर्शन कर आराम कर सकते है |
यह मंदिर ए. बी. रोड के पास स्थित होने के कारण रोड़ेशवरी देवी माता मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है |
राजराजेश्वरी माता मंदिर के पुजारी श्री हरिशंकर नागर जी के अनुसार आगरा – मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर चीलर नदी के किनारे बने इस मंदिर का निर्माण राजा भोज के समय सन 1018 से 1060 के बिच कराया गया था | जहा उत्खनन में श्रीचरण, त्रिशूल और चिमटा पाए गये थे | शमशान घाट के पास स्थित होने से यह हो सकता है कि वर्षों तक तांत्रिको और सिद्धो का ही वर्चस्व रहा हो | मुग़ल सम्राट शाहजहां के शासनकाल में शाजापुर शहर बसा और इस नगर का नाम शाहजहापुर रखा गया |
सन 1640 में शाहजहां ने सांप्रदायिक सौहार्द कि भावना का परिचय देते हुए इस मंदिर की व्यवस्था के लिए वार्षिक राशि देना मंजूर किया | एक शिलालेख के अनुसार 1734 में मंदिर के मंडप का निर्माण कराया गया |
एतिहासिक तथ्यों के अनुसार मंदिर में स्थित मूर्ति लगभग छः फुट उची है | मूर्ति के दो हाथ तथा गले में मुंड की माला घुटनों तक है | पैर के निचे राक्षस दबा हुआ है | सम्पूर्ण मूर्ति सुन्दर और आकर्षक है |
मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार 1968 – 69 में कराया गया | इस दौरान मंदिर के सामने का चबूतरा, सीढी एवं पानी की टंकी का निर्माण कराया गया | मंदिर में नवरात्री पर्व की शुरुआत 1972 में हुआ | प्रति गुरूवार को रात्रि को माताजी को गौघृत से स्नान कराया जाता है | 1967 से इस मंदिर में अखंड दीप प्रज्वलित है |
मंदिर के परिसर में अनेक देवी देवताओ की प्रतिमायें कालांतर से स्थापित है | पश्चिम में गणपति मंदिर, पूर्व में खेड़ापति हनुमान, पार्श्व में किसी सिध्ध संत की समाधि बायीं ओर अम्बामाता, भैरोजी, बाई तरफ शीतलामाता और पातालेश्वर महादेव की प्रतिमाये स्थित है |
नोट: समस्त जानकारी पं. श्री सुनिलजी नागर के द्वारा दिनांक १७ अक्टूबर २००१ के अखबार के ११ नं. पृष्ठ से दी गई है!
सौजन्य से
श्री सुनिलजी नागर
पं. राजराजेश्वरी माता मंदिर
मो. 9826400266