दाउदी बोहरा समाज की प्रतिष्ठित दरगाहों में से एक है। यह मज़ार अपने ही करिश्मों के लिए जाना जाता है। कोई आकर यहां रोज़ी के लिए मन्नतें मानता है तो कोई शादी के लिए तो कोई मकान के लिए। इस दरगाह के पीर है सैय्यदी युसुफखान साहब इब्ने सैय्यदी शमषखान साहब। 350 वर्ष से भी अधिक वर्ष पहले यहां आऐं थे। उज्जैन में स्थित दरगाह सैय्यदी हसनजी बादषाह की है जो इनके भाई है
एवं एक भाई कमलापुर (देवास के पास) में सैय्यदी अली भाई षहीद के नाम से प्रसिद्ध है। मिस्री ता. के हिसाब से हर वर्ष 27 ज़िल्कादमाह में उर्स मनाया जाता है। उर्स के अवसर पर भारत एवं विदेश से भारी संख्या में दाउदी बोहरा एवं अन्य समाज के लोग आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं।
यहां पर ज़व्वार (दर्शनार्थी) भारत ही नहीं अपितू दुनिया के कई शहरों से आते हैं। यहां आने वाले मेहमानों के रहने के लिए उत्तम हाॅल एवं कमरे सम्पूर्ण सुविधा के साथ उपलब्ध है। दाउदी बोहरा समाज के अलावा हर धर्म के लोग जो इस दरगाह में आस्था रखते हैं रोज़ाना आते हैं। विशेष तौर पर गुरूवार के दिन सुबह से शाम तक यहां आने वालों का तांता लगा रहता है।
आने वालों का कहना है कि यहा आलौकिक शक्ती है जो बिमार (बुरी शक्तियों) समस्या से परेषान है उनका यहां इलाज हो जाता है। कोई भी बुरी शक्ती यहां कुछ काम नहीं कर पाती। जब लोगों की मन्नतें पूरी हो जाती है तब मन्नतों के अनुसार, चादर, नरियल अदा की जाती है। दुआऐं मांगी जाती है।
यहां आकर ठहरने वाले सभी दाउदी बोहरा समाज के मेहमानों को सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब त.उ.श. 53वें दाई अल मुतलक, की ओर से भोजन का निमंत्रण दिया जाता है। हर गुरूवार को यहंा रात्री जागरण किया जाता है।
Mazar-e-Yusufi is situated in Shajapur
Honoured to be the son of Syedi Fakhruddin Shaheed (QS.) Syedi Yusufji Saheb (QS.) is fortunate to be the son of Moulai Syedi Shamshkhan Saheb (QS.) whose Qabr Mubarak is situated in Surat.
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