शाजापुर। जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का पूरी तरह से बंटाधार हो चुका है, यही कारण है कि हर दिन मरीज को अपनी जान बचाने के लिए भारी संघर्ष करना पड़ रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार हैं कि अपने मनमानी और लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं। अस्पताल में चल रही धांधली के चलते ही अब तक दो सिविल सर्जन बदले जा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी व्यवस्था सुधरने का नाम नही ले रही है और मरीजों के परिजनों को ऑक्सीजन और इंजेक्शन दवाईयों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों कोरोना महामारी के चलते जिलेभर में हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे में जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को समय पर ऑक्सीजन और इंजेक्शन नहीं दिया जा रहा है। गतदिनों भी ऑक्सिजन सिलेंडर होने के बाद भी मरीजों को नहीं लगाए जा रहे थे, जिसको लेकर अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ था। मरीज के परिजनों का आरोप था कि मरीज की जान बचाने को तवज्जो देने की बजाय जिम्मेदार एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थौंपते हैं। इस लापरवाही के चलते कलेक्टर दिनेश जैन ने कार्रवाई करते हुए जिला चिकित्सालय शाजापुर के सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक के प्रभार से डॉ शुभम गुप्ता को हटा दिया है और यह प्रभार सीएमएचओ डॉ राजू निदारिया को दिया गया है। कलेक्टर जैन ने बताया कि चिकित्सालय में कोरोना महामारी संक्रमण के मरीजों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए उनके उपचार की व्यवस्था, अस्पताल प्रबंधन एवं प्रशासकीय सुविधा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सीएमएचओ डॉ निदारिया को प्रभार सौंपा गया है।
व्यवस्था चरमराने पर दो सिविल सर्जन बदले
गौरतलब है कि इस कोरोना काल में जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं और जिम्मेदारों के द्वारा मरीजों की जान की परवाह किए बिना मनमानी करते हुए जमकर लापरवाही बरती जा रही है। यही वजह है कि अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर होने के बाद भी मरीजों को सिलेंडर लगवाने के लिए परिजनों को संघर्ष करना पड़ रहा है। अस्पताल में व्याप्त इन्ही अव्यवस्थाओं को सुधारने के उद्देश्य से कलेक्टर द्वारा दो सिविल सर्जन बदले जा चुके हैं। पहले जिला अस्पताल में सिविल सर्जन का पदभार डॉ विपिन जैन को सौंपा गया था, लेकिन जैन अस्पताल की व्यवस्था सुधार पाने में नाकाम साबित हुए जिसके चलते उन्हे हटाकर डॉ शुभम गुप्ता को सिविल सर्जन का दायित्व सौंपा गया, परंतु डॉ गुप्ता के प्रभार में अस्पताल में संदेहास्पद ढंग से रेमडेसिविर इंजेक्शनों को लूट लिए जाने की घटना सामने आई। वहीं ऑक्सीजन सिलेंडर होने के बावजूद मरीजों को जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करना पड़ा जिसके चलते कलेक्टर ने डॉ गुप्ता को भी सिविल सर्जन के पद से हटा दिया है।
