शाजापुर। बच्चे जिनके सवाल अजीब ज़रूर होते हैं लेकिन कई बार इतने सटीक होते हैं कि जवाब देना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाया जाता है कि नाप और माप के तरीके सामान की खरीदी के अनुसार होते हैं। जैसे कपड़ा नापने के लिए मीटर और फीट का इस्तमाल किया जाता है वैसे ही तरल पदार्थ को मापने के लिए लीटर का तो वहीं 12 के नग में मिलने वाली चीज़ों को दर्जन यानी एक दर्जन में 12 नग से, अब इसी सीख के साथ पढ़ाई करने वाले बच्चों के सामने यदि नया नियम आ जाए तो सवाल तो होगा ही। अब हुआ युँ कि बाज़ार में कैले खरीदने गए एक व्यक्ति ने जब भाव पूछा तो थैले पर विक्रयकर्ता ने 20 रूपये किलो का भाव बताया अब क्रेता व्यक्ति के साथ उसका 6 साल का बालक जो की पहली कक्षा में पढ़ रहा है ने तुरन्त कहा कि ‘‘पापा केले दर्जन से मिलते हैं किलो से नहीं’’ अब इस पूरे माजरे को हमारे पत्रकार साथी ने देख और समझ कर फल व्यापारी से पूछा के शाजापुर में कैले वजन से क्यों मिल रहे हैं दर्जन से क्यों नहीं तो व्यापारियों ने कहा हमें थोक व्यापारी वजन से देते हैं तो हम भी वजन से बेचते हैं।
वैसे इसे शाजापुर के फल व्यापारियों का नया नियम भी माना जा सकता है और शहरवासियों के लिए दुविधा भी की पास ही के जिले देवास में एक फल जो दर्जन से बिकता है यानी कैला लगभग 20 से 30 रूपये दर्जन के माप से बैचा जा रहा है लेकिन शहर शाजापुर में इसी फल को 20 से 30रूपये किलो में विक्रय किया जा रहा है।
क्या यह सही है-
अब सवाल इस बात का है कि क्या दर्जन के माप से बिकने वाली चीज़ वजन से बैचने पर कोई कानूनी नियम है या फिर स्कूल में पढ़ाई जाने वाली शिक्षा में संसोधन करना चाहिए, बात छोटी है पर गहरी है प्रशासन का ध्यान इस और खींचने का प्रयास