शाजापुर। योग भारतीय जीवन पद्धति का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्राचीन समय में लोग केवल साधु सन्यासियों और मोनमार्ग पर चलने वालो के लिए ही उपयोगी समझा जाता था। लेकिन यह सत्य नहीं योग। जितना एक सन्यासी के लिए उपयोगी है उतना ही गृहस्थ के लिए भी है। योग एक जीवन पद्धति है। एक ऐसा विज्ञान है जो मनुष्य के सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन को सुंदर सुखमय बनाने के साथ साथ उसे परम तत्व का ज्ञान कराता है।
यह बात योगाचार्य पं. विकेश शर्मा ने समीपस्थ ग्राम सुनेरा स्थित बाल गंगाधर तिलक स्कूल परिसर में चल रहे सात दिवसीय निःशुल्क योग शिविर को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में योग का महत्व दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। योग के द्वारा शारीरिक मानसिक और आत्मिक शक्ति का विकास होता है। शरीर सुदृढ़ मन स्वस्थ व आत्मा का स्वच्छ होती है। योग एक शाश्वत विज्ञज्ञन है। एक जीवन पद्धति है। ब्रह्मा जी द्वारा निर्दिष्ट ऋषियों तपस्वियों तथा दर्शनिकों द्वारा अपनाई श्रेष्ठ विद्या है। यह वह विज्ञान है जिसके माध्यम से शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर ऊंचा उठा जा सकता है। योग जितना एक व्यक्ति के लिए उपयोगी माना गया है उतना ही एक समाज के लिए समाज में रहने वाले व्यक्ति जब योगाभ्यासों का पालन करने लगते हैं तो उनके अनुरूप ही एक सुंदर संयमी समाज का निर्माण प्रारंभ हो जाता है। स्वास्थ्य संरक्षण एवं रोग निवारण दो अलग अलग तथ्य है। रोग निवारण में व्यक्तिगत व सामाजिक स्तर पर करोड़ों रूपए खर्च होते हैं। जबकि स्वास्थ्य संरक्षण पर इतना ध्यान दिया जाए तो शायद यह व्यय कम हो सकता है।
पं. शर्मा ने कहा कि आधुनिक युग में व्यक्ति अपनी जिंदगी भर की कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपने अंतिम समय में चिकित्साघरों व दवाइयों पर खर्च कर रह है। जबकि योगाभ्यास का पालन करने मात्र से ही रोग दूर हो जाते हैं। निरोगी काया हो जाती है।
