मजबूरों पर मास्क की कार्यवाही की लीपापोती जारी
शाजापुर। जहां एक तरफ सारा देश ही नही विश्व कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उसके नए-नए वेरियेन्ट से सहमा हुआ है वहीं शासन-प्रशासन के आला अधिकारी जिला शाजापूर में मूक-बधीर बनकर शहर की जनता को ओमीक्रोन की चपेट में आने लाने का भरचक प्रयास करते नज़र आ रहे है। यह कहना कतई गलत नहीं होगा की शासन-प्रशासन की लापरवाही आम जनता को मौत के मुँह की तरफ धकेल रही है।
विश्वभर में कोविड के नये वेरिएंट ओमिक्रान की दस्तक ने हाहाकार मचा दिया है। ऐसे में शाजापुर जिले में भी प्रशासन द्वारा आमजन को कोविड गाइड लाइन का पालन करने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वहीं बिना मास्क के घूमने वाले लोगों के खिलाफ चालानी कार्रवाई भी की जा रही है, लेकिन कोविड महामारी की रोकथाम के इस प्रयास में प्रशासन की दोहरी नीति सामने आई है धडल्ले से रेलीयो की अनुमती दी जा रही है जिसमे कोविड के नियमो का पालन भी नही कराया जा रहा है। ऐसे मे आमजन पर नियम का पालन नही करने पर जुर्माना किया जा रहा है, लेकिन राजनीतिक पाटियों के जिम्मेदारों के आगे जिम्मेदार नतमस्तक दिखाई दे रहे हैं।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने शहर में जमकर कोहराम मचाया था और कई जिंदगियां कोविड के कहर से खत्म हो गईं थीं। वहीं अब जबकि कोरोना की तीसरी लहर संभावित है और ओमिक्रान ने तेजी से अपने पैर मध्यप्रदेश में पसारने शुरू कर दिए हैं तो इसके बावजूद भी प्रशासन मूक-बधीर बनकर राजनैतिक पार्टियों और आम सभाओं के लिए अनुमती देने मंे भी चूक नहीं कर रहा है।
सबसे बड़े ज़िम्मेदार जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक-
शहर की फिज़ा को हर हाल में संवारने और संभालने का काम शहर के सबसे अधिक जिम्मेदारी और शासकीय उच्च पद पर आसीन जिला कलेक्टर महोदय और जिला पुलिस अधीक्षक पर होती है। जहां कहीं भी ऐसा माहौल नज़र आता है जिससे शहर में किसी भी प्रकार का खतरा होतो उक्त पदाधिकारी और उनके अधिनस्थ कर्मचारियों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है लेकिन शहर में पिछले 4 दिनों में दो राजनैतिक रैलियों को निकलने से ही नहीं रोका बल्की कोविड-19 में लागू नियमों का भी भरपूर उलंघन होने पर भी कोई कार्यवाही शासकीय अमले द्वारा नहीं दिखाई दे रही है। जिससे मामलू पड़ता है की राजनैतिक आकाओं के आगे प्रशासन पूरी तरह लाचार और अपंग है। मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री का आदेश इनके लिए कोई मायने नहीं रखता यदि फिक्र है तो अपने सर पर हाथ रखने वाले आकाओं की।
अति निन्दनीय है कि कोविड के बढ़ते प्रकोप और ओमीक्राॅन की ज़बरदस्त दस्तक होने के बावजूद भी आला अधिकारियों द्वारा इस प्रकार के आयोजनों पर रोक लगाने के बजाए आम जनता के साथ-साथ पुलिस के जवानों की भी जान खतरे में डाली जा रही है।