शाजापुर। कृषि कानून बिल के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ किए गए भारत बंद का असर शाजापुर जिला मुख्यालय पर पूरी तरह से बेअसर नजर आया और सुबह से लेकर शाम तक सभी दुकानें खुली रहीं। हालांकि राजनीतिक पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन करते हुए रैली निकालकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर कृषि कानून निरस्त किए जाने की मांग की। उल्लेखनीय है कि देश की राजधानी दिल्ली में कृषि कानून को लेकर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और इसीको लेकर मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया गया था, लेकिन व्यापारियों ने भारत बंद को समर्थन नही करते हुए अपने प्रतिष्ठान खुले रखे। वहीं भारतीय किसान संघ ने भी भारत बंद के समर्थन से दूरी बनाई रखी। वहीं जिला कांग्रेस द्वारा भारत बंद का समर्थन करते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि देश के किसान खेत, खलिहान और देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश मोदी सरकार के द्वारा की जा रही है। देश के अन्नदाता किसानों और खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का घिनौना षडय़ंत्र रचते हुए मोदी सरकार ने कृषि कानून लागू किया है। देशभर में ६२ करोड़ किसान, २५० से अधिक किसान संगठन काले कानून के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार सारे विरोध को दरकिनार करते हुए देश के लोगों को कानून को लेकर भ्रमित करने का काम कर रही है। अन्नदाता किसान की बात सुनने की बजाय मोदी सरकार उनकी आवाज को लाठियों के बल पर दबाने का प्रयास कर रही है। ज्ञापन में तीनों काले कानूनों को शीघ्र ही वापस लिए जाने की मांग की गई। इस मौके पर योगेंद्रसिंह बना, कैलाश मटोलिया, कमरुद्दीन मेव, वीरेंद्र व्यास, दिनेश नायक, विजेंद्र पाटीदार, आदित्य सेंगर, निर्मल जैन, मांगीलाल नायक, साजिद, विनीत आदि मौजूद थे।
दिनभर खुला रहा बाजार
मोदी सरकार और कृषि कानून के विरोध में बुलाए गए भारत बंद का आह्वान शाजापुर में पूरी तरह से बेअसर रहा और व्यापारियों ने प्रतिष्ठान खुले रखे जिसकी वजह से दिनभर बाजार में आवाजाही बनी रही। इसीके साथ भारतीय किसान संघ ने भी बंद का समर्थन करने से दूरी बनाई रखी। संघ के पदाधिकारियों का कहना था कि वे किसानों के साथ हैं, लेकिन भारत बंद का समर्थन नही करते और कृषि बिल में संशोधन की मांग करते हैं।
आप पार्टी ने रैली निकालकर सौंपा ज्ञापन
