शाजापुर। भारत में मथुरा के बाद मप्र के शाजापुर में अनूठे अंदाज में श्रीगोवर्धननाथ मंदिर हवेली की 271 वर्ष पुरानी परंपरा का कंस दशमी पर रविवार रात को निर्वहन किया गया। इसके पूर्व अहंकारी कंस से घंटों वाकयुद्ध चला जिसके बाद श्रीकृष्ण ने कंस का सीने में घूंसा मारकर वध कर दिया। सिंहासन से कंस के पुतले के जमीन पर गिरते ही गवली समाज के युवाओं ने उस पर लाठियां बरसाना शुरू कर दी और इसके बाद उसे घसीटकर ले गए। कंस दशमी के मौके पर रात को देव और दानवों के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ। कंस और उसके सैनिक भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, मनसुखा, धनसुखा सहित अन्य पात्रों पर शब्दों के तीखे बाण छोड़ते रहे। इसके पश्चात देररात 12 बजे श्रीकृष्ण ने परंपरानुसार कंस के पुतले का पूजन कर उसे घूंसा मारकर सिंहासन से नीचे गिरा दिया। तत्पश्चात पुतले को गवली समाज के नवयुवक लाठियों से पीटते हुए और घसीटते हुए अपने साथ ले गए।
वाकयुद्ध रहा आकर्षण का केंद्र
कंस के वध के पूर्व देव और दानवों के बीच हुआ वाकयुद्ध लोगों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहा। देव और दानव के रूप में सजे कलाकार रात 8 बजे से भूतों की टोली के साथ सोमवारिया बाजार में भ्रमण कर लोगों का मनोरंजन करते रहे। इसके बाद हुए वाकयुद्ध में देव और दानवों ने एक-दूसरे पर हास्य व्यंग छोडक़र दर्शकों को खुब गुदगुदाने का काम किया। अंत में श्रीकृष्ण ने अहंकारी कंस का वध कर पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। इस मौके पर कंस वधोत्सव समिति के सदस्यों सहित शहर के लोग उपस्थित थे।
